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sukh-shanti-samridhi
सोमवार, 17 मार्च 2008
(1)दुःखः- आसक्ति से बढ़ कर कोई दुःख नहीं है
(2)आलस्य दरिद्रता की जड़ है।
(3) अशुभ भविष्य की चिन्ता में उद्विग्न न रहो, साहस पूर्वक प्रगति का प्रयास करते रहो और प्रसन्न रहो।
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